फैसला: क्या पत्नी का फोन चुपचाप टैप कर साक्ष्य के तौर पर पेश किया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट करेगा परीक्षण

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया जिसमें कहा गया था कि पत्नी की जानकारी के बिना टेलीफोन पर बातचीत की रिकॉर्डिंग उसकी निजता का उल्लंघन है। हाईकोर्ट ने माना था कि परिवार न्यायालय के समक्ष साक्ष्य के रूप में गुप्त रूप से रिकॉर्ड की गई फोन बातचीत स्वीकार्य नहीं होगी।

जस्टिस विनीत शरण और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए उन्हें तीन फरवरी तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील अंकित स्वरूप ने तर्क दिया कि निजता का अधिकार पूर्ण नहीं है और इसे अन्य अधिकारों और मूल्यों के संदर्भ में संतुलित किया जाना चाहिए। 

भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा-122 में निर्धारित अपवाद का उल्लेख करते हुए उन्होंने यह तर्क दिया कि तलाक की मांग करते हुए वैवाहिक कार्यवाही में विवाहित व्यक्तियों के बीच बातचीत का खुलासा किया जा सकता है। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का परीक्षण करने का निर्णय लिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button